आबिद रजा बदायूं से और आबिद अली आंवला से लड़ सकते हैं चुनाव

मुश्किल में आ सकती है सपा की सियासी नाव



बदायूं। बसपा हाईकमान के सूत्रों ने बरेली मंडल की आंवला और बदायूं से मुस्लिम चेहरों पर दांव खेलने के संकेत दिए हैं।बदायूं लोकसभा सीट से बसपा द्वारा मुस्लिम चेहरे को अखाड़े में उतारने की तस्वीर बिल्कुल साफ होती दिखाई दे रही है। क्योंकि हाल ही में सपा पर मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाकर पार्टी छोड़ने वाले बदायूं के पूर्व विधायक आबिद रज़ा बसपा के बड़े नेताओं के संपर्क में बताये जा रहे हैं। ऐसे में अगर बसपा ने बदायूं के चुनावी दंगल में आबिद रज़ा को उतारा, तो सपा को बदायूं में मुस्लिम वोटों का बंटवारा होने के चलते नुकसान होना तय माना जा  है। क्योंकि पूर्व मंत्री आबिद रज़ा एक सेक्युलर नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। क्षेत्र में उनका काफी असर भी है। जिसका एहसास उन्होंने निकाय चुनाव में अपनी पत्नी को निर्दलीय के रूप में चेयरपर्सन बनाकर दिला दिया। सपा के टिकट न देने के बावजूद फात्मा रज़ा चेयरपर्सन बन गई।अब ऐसे में अगर आबिद रज़ा बदायूं लोकसभा सीट से बसपा उम्मीदवार के रूप में उतरते हैं तो उन्हें काम नहीं आंका जा सकता। किसी भी प्रत्याशी को कड़ी टक्कर देने में वे सक्षम हैं। फिर क्षेत्र में पांच बार के सांसद सलीम इकबाल शेरवानी का भी अपना असर है।सलीम शेरवानी और योगेंद्र तोमर का पूरा साथ मिलना निश्चित है।ऐसे में आबिद रज़ा काफी दलित - मुस्लिम के गठजोड़ और अन्य वर्गों में पैठ का पूरा फायदा उठा सकते हैं।

वहीं बरेली के आंवला से चेयरमैन आबिद अली के इस्तीफे से सपा को आंवला में भी करारा झटका लगा है। सूत्रों के मुताबिक आंवला लोकसभा से आबिद की उम्मीदवारी फाइनल है। 

सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन से दूर लोकसभा चुनाव के रण में अकेले उतर रही बसपा ने धीरे -धीरे अपने पत्ते खोलते हुए उम्मीदवार उतरना शुरू कर दिया है।  बसपा द्वारा प्रदेश की दस संसदीय सीटों पर घोषित प्रत्याशियों में बरेली मंडल की 5 सीटों पर अभी केवल पीलीभीत से अपने उम्मीदवार को उतारा है हालांकि पार्टी ने बरेली मंडल की बाकी बची 4 सीटों पर भी जल्द ही अपने चुनावी योद्धाओं को उतारने का संकेत दिया है। आंवला के सपा चेयरमैन आबिद अली के इतवार रात सपा से इस्तीफा देने और रविवार को ही बसपा प्रमुख मायावती से मुलाकात होने के बाद आंवला लोकसभा के दंगल में बसपा से उनकी उम्मीदवारी तय मानी जा रही है। सूत्रों की बातों पर गौर करें तो आंवला चेयरमैन आबिद अली का टिकट बसपा से फाइनल हो गया है और अगले दो-तीन दिनों में इसकी औपचारिक घोषणा भी हो सकती है। आंवला लोकसभा के चुनावी अखाड़े में बसपा द्वारा चेयरमैन आबिद को उतारने से यहां का चुनावी गणित बदल सकता है। बताया जाता है कि आंवला के सपा चेयरमैन आबिद अली सपा गठबंधन द्वारा यहां से नीरज मौर्य की उम्मीदवारी घोषित करने के बाद से ही उनके बाहरी होने के चलते पार्टी से नाराज़ चल रहे थे। रविवार रात अचानक सपा से उनके इस्तीफे के बाद बरेली के सपाइयों में हड़कंप मच गया है। आंवला लोकसभा से बसपा का टिकट फाइनल होने से आंवला में सपा गठबंधन प्रत्याशी को नुक़सान होना तय माना जा रहा है। सपा से इस्तीफा देने वाले आंवला के चेयरमैन आबिद अली यहां से तीन बार चेयरमैनी का चुनाव जीत चुके हैं।कस्बे के मुस्लिम और अन्य वर्गों में उनकी अच्छी पैठ बताई जाती है।2023 में चेयरमैन के चुनाव में उन्होंने आंवला से सपा की साईकिल को दौड़ाकर फतह पाई थी।आंवला लोकसभा सीट पर बसपा के मुस्लिम कार्ड खेलने से यहां मुस्लिम वोटों में बिखराव होने के चलते सपा को नुक़सान होना बिल्कुल तय माना जा रहा। जिससे बदायूं और आंवला दोनों लोकसभा क्षेत्रों से सपा के उम्मीदवारों का दिल्ली पहुंचने का सपना चकनाचूर हो सकता है।



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