ककोड़ा मेला में गंगा तट पर बस गया तंबुओं का शहर, पुलिस-प्रशासन सतर्क
बदायूं। मिनी कुंभ मेला ककोड़ा में आस्था, भक्ति और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु निरंतर मेले की ओर उमड़ रहे हैं। गंगा तट के दोनों ओर रेत पर तंबुओं का शहर आबाद हो गया है। हजारों श्रद्धालु अपने निजी वाहनों, ट्रैक्टर-ट्रॉली, मोटरसाइकिल, टेंपो और कारों से पहुंच रहे हैं, जिससे पूरा क्षेत्र श्रद्धा की भावनाओं से सराबोर हो गया है।
गंगा में जल स्तर कम होने के बावजूद श्रद्धालु हर-हर गंगे के जयकारों के बीच श्रद्धा की डुबकी लगा रहे हैं। श्रद्धालुओं को विश्वास है कि प्रशासन शीघ्र ही गंगा में जल बढ़ाकर स्नान को और सुगम बनाएगा। भीड़ बढ़ने के मद्देनजर पुलिस-प्रशासन सतर्क है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गंगा किनारे बैरिकेडिंग की गई है और सुरक्षा कर्मी लगातार निगरानी कर रहे हैं। मेला परिसर में इस बार सांस्कृतिक मंच का निर्माण विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां भक्ति संगीत, लोकनृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। साथ ही विभिन्न सरकारी विभागों की प्रदर्शनियां भी मेले की शोभा में चार चांद लगा रही हैं। मीना बाजार में रौनक अपने चरम पर है।
दुकानदारों ने महिलाओं के प्रसाधन सामग्री, खिलौनों, घरेलू सामान, सिलबट्टों और सजावटी वस्तुओं की दुकानें सजा दी हैं। खाद्य स्टॉलों पर भारी भीड़ जुटी है — चाट, पकौड़ी, मूंगफली और पेठे के ठेलों पर लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। वहीं, प्रसिद्ध ककोड़ा खजला बनाने का कार्य जोरों पर है, जिसकी खुशबू पूरे मेले में फैल रही है।
देवोत्थान एकादशी पर्व के चलते गन्ने की बिक्री में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। श्रद्धालु प्रसाद स्वरूप गन्ना, सिंघाड़ा और शकरकंदी खरीदी। गंगा तट पर प्रसाद की दुकानों पर भीड़ दिनभर बनी रहती है।पूरा मेला क्षेत्र आस्था और परंपरा की जीवंत मिसाल बन गया है। रेत की सफेद धरती पर सजा यह तंबुओं का नगर मानो भक्तिभाव से भरे संसार का सुंदर प्रतीक बन गया है। उद्घाटन से पहले ही श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा है।




